ट्रंप की इस गलती से भारत को फायदा… चीन का जिक्र कर रघुराम राजन ने किस मौके को भुनाने की कही बात?

kisded kisdedUncategorized2 weeks ago37 Views

नई दिल्ली: पूर्व आरबीआई गवर्नर और अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने डोनाल्ड ट्रंप के अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा को प्रतिबंधित करने के फैसले पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर बुरा असर पड़ेगा। राजन का मानना है कि भारत के पास इस स्थिति को एक अवसर में बदलने का मौका है। उन्होंने टुडे टीवी के साथ बातचीत में अमेरिकी प्रशासन के कदमों को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। राजन ने कहा कि इससे अमेरिका और भारत के बीच शैक्षणिक और आर्थिक संबंध कमजोर होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को शिक्षा में निवेश बढ़ाना चाहिए। राजन ने व्यापक विकास के लिए संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया।

रघुराम राजन ने अमेरिकी प्रशासन के विश्वविद्यालयों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बनाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका के लिए एक बड़ा निर्यात हैं। राजन के अनुसार, इससे अमेरिका को नुकसान होगा। छात्र अब यह सोचने लगे हैं कि क्या उन्हें अमेरिका में रहना चाहिए या ऑस्ट्रेलिया या ब्रिटेन जैसे देशों में जाना चाहिए, जो उनका अधिक स्वागत कर सकते हैं।

राजन ने कहा कि हमें इस मुश्किल समय में भी अवसर ढूंढना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर भारत अपनी शिक्षा में निवेश बढ़ाता है तो यह एक अच्छा मौका हो सकता है। राजन ने चीन का उदाहरण दिया, जिसने पिछले 20 वर्षों में शिक्षा में काफी सुधार किया है। उन्होंने कहा कि भारत भी ऐसा कर सकता है। उसे अनुसंधान और विकास में आगे बढ़ने के लिए ऐसा करना चाहिए।

फैसले का हो रहा व‍िरोध

राजन ने कहा कि इस फैसले का विरोध हो रहा है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय भी इसके खिलाफ लड़ रहा है। राजन के अनुसार, विश्वविद्यालयों और सरकार के बीच लड़ाई में छात्र और अनुसंधान को नुकसान होता है। सरकार की ओर से फंडिंग पर विचार करने के दौरान कई चिकित्सा अनुसंधान रोक दिए गए हैं। इससे शोधकर्ताओं में अनिश्चितता पैदा होती है।

राजन ने बताया कि वे पिछले हफ्ते सिंगापुर में थे। वहां के एक विश्वविद्यालय के अध्यक्ष ने उनसे कहा कि जब वे अमेरिकी शिक्षाविदों को ऑफर देते थे तो 40% इसके लिए तैयार होते थे। लेकिन, अब यह दर 100% हो गई है। राजन ने कहा कि अमेरिकी शिक्षा कमजोर हो रही है।

राजन का मानना है कि अगर इन मुद्दों को जल्दी से हल कर लिया जाता है तो दीर्घकालिक कमजोरी नहीं दिखेगी। उन्होंने कहा कि लोग याद रखते हैं कि उनके साथ कैसा व्यवहार किया गया। जब लोगों को दो जगहों के बीच चयन करने का मौका मिलता है तो वे उस जगह को चुनेंगे जहां वे अधिक सहज महसूस करते हैं।

राजन ने कहा कि अगर भारत को 2047 तक विकसित देश बनना है तो उसे 8 से 9% की विकास दर की आवश्यकता है। कारण है क‍ि भारत अभी भी एक गरीब देश है। उनके अनुसार, भारत के पास आगे बढ़ने का मौका है, लेकिन सतत और समावेशी विकास ही इस अवसर को वास्तविकता में बदल सकता है। राजन ने कहा कि शिक्षा इस दौड़ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

अमेरिका की कमाई का बड़ा जरिया

अमेरिका को विदेशी छात्रों से अच्छी-खासी कमाई होती है। यह उसकी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ताजा NAFSA (एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल एजुकेटर्स) के अनुसार, 2023-2024 शैक्षणिक वर्ष के दौरान अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 11 लाख से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 43.8 अरब डॉलर का योगदान दिया। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, 2023 में अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में $50 अरब से अधिक का योगदान दिया।

कैसे होती है विदेशी छात्रों से कमाई?

विदेशी छात्रों से अमेरिका को कई तरीकों से कमाई होती है। इनमें ट्यूशन और फीस, रहने-खाने का खर्च और अन्य खर्चे शामिल हैं। ट्यूशन और फीस कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा है। विदेशी छात्रों को अक्सर अमेरिकी छात्रों की तुलना में अधिक ट्यूशन फीस देनी पड़ती है, खासकर राज्य के बाहर के छात्रों के लिए। कई अमेरिकी विश्वविद्यालय अपनी वित्तीय व्यवहार्यता के लिए विदेशी छात्रों पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। रहने-खाने के खर्च में आवास, भोजन, परिवहन, व्यक्तिगत खर्च और किताबें शामिल हैं। छात्र इन खर्चों के लिए स्थानीय व्यवसायों में पैसा खर्च करते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलता है। अन्य खर्चों में स्वास्थ्य बीमा, यात्रा और दूसरे सामान और सेवाओं की खरीद शामिल है।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे में

अमित शुक्‍ला

पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।… और पढ़ें

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