अगली बार नेवी का रोल होगा… क्या भारत के डर से पाकिस्तान कर रहा अभी से तैयारी

kisded kisdedUncategorized5 days ago10 Views

नई दिल्ली : पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से जिस तरह से जवाब दिया गया उसकी उम्मीद तो पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं की होगी। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सुरक्षा बलों ने जिस तरह के कार्रवाई की वह अपने आप में एक संदेश था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब पाकिस्तान भी अलर्ट मोड में आ गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने ही नौसेन की ताकत और ऐक्शन को लेकर अहम बात कही थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा मंत्री का बयान और पाकिस्तानी नौसेना की तैयारी से एक संकेत स्पष्ट रूप से निकला है। यह संदेश है कि अगर भविष्य में भारत और पाकिस्तान आमने-सामने हुए तो इसमें भारतीय नेवी की भूमिका काफी अहम होगी।

पाकिस्तान को राजनाथ का संदेश

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 मई 2025 को गोवा में INS विक्रांत पर नौसेना के अधिकारियों और जवानों को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना की कार्रवाई के कारण पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया था। अगर हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय नौसेना अपनी पूरी ताकत के साथ उतरती, तो पाकिस्तान के दो नहीं, बल्कि चार टुकड़े हो जाते।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि पाकिस्तान ने भविष्य में कोई ‘नापाक हरकत’ की, तो भारतीय नौसेना इस बार कार्रवाई की शुरुआत करेगी। इसके परिणाम पाकिस्तान के लिए और भी गंभीर होंगे। राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से आतंकवाद की नर्सरी को खत्म करने और हाफिज सईद व मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को भारत को सौंपने की मांग की थी। साथ ही यह स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ हर संभव तरीके अपनाएगा, जिनके बारे में पाकिस्तान सोच भी नहीं सकता।

अलर्ट मोड में आया पाकिस्तान

पाकिस्तान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 1 जून को एक मैसेज पोस्ट किया। इसमें पाकिस्तान ने दो दिवसीय अभ्यास की घोषणा की। इस अभ्यास का उद्देश्य पाकिस्तान के सभी प्रमुख बंदरगाहों और हार्बरों में सब-कन्वेंशनल और विषम खतरों का मुकाबला” करना था। पाकिस्तानी नेवी ने कहा कि यह अभ्यास महत्वपूर्ण समुद्री बुनियादी ढांचे की रक्षा के लिए किया जा रहा है। इसका मकसद विषम खतरों से निपटने के लिए अपनी रणनीति और तकनीकों को बेहतर बनाना है।

क्या कह रहे एक्सपर्ट्स?

अब, सैन्य तनाव में कमी आने के बावजूद, विश्लेषकों का कहना है कि राजनाथ सिंह की टिप्पणी और पाकिस्तान के नौसैनिक अभ्यास से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष में समुद्री ताकतें एक बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। दोनों देशों की नेवी इस भूमिका से अच्छी तरह वाकिफ हैं।

जानकारों के अनुसार भारत ‘ब्लू वाटर नेवी’ बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसका मतलब है कि भारत ऐसी नौसेना बनाना चाहता है जो समुद्रों में अपनी ताकत दिखा सके। एक्सपर्ट्स के अनुसार भारत हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति को मजबूत बनाना चाहता है

भारतीय नौसेना ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी नौसेना को चौंकाने के तरीके को दोहराया था। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया था। उससे पाकिस्तान की नौसेना क्षमताएं बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। 1971 के युद्ध के बाद, भारत और पाकिस्तान ने अलग-अलग नेवी स्ट्रेटेजी को फॉलो किया है।

पाकिस्तान के मुकाबले मजबूत है इंडियन नेवी

1971 के बाद भारतीय नौसेना ने न केवल अपनी संपत्तियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है, बल्कि रूस जैसे देशों के साथ पार्टनरशिप भी की है। इससे भारत को एक शक्तिशाली बेड़ा विकसित करने में मदद मिली है। इंडियन नेवी अब लंबी दूरी तक मिशन चलाने में सक्षम है। वे दक्षिणी अफ्रीका के पास मॉरीशस तक या प्रशांत महासागर में भी कुछ अभियान चला सकते हैं। भारत ने नौसेना के विकास में भारी निवेश किया है।

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) के अनुसार, भारत के पास 29 मुख्य युद्धपोत हैं। इनमें दो विमान वाहक, 12 विध्वंसक, 15 फ्रिगेट और 18 पनडुब्बियां शामिल हैं। इनमें से दो पनडुब्बियां परमाणु ऊर्जा से चलती हैं। IISS के डेटा के अनुसार पाकिस्तान की नौसेना के पास विमान वाहक और विध्वंसक नहीं हैं। हालांकि, उसके पास 11 फ्रिगेट, आठ पनडुब्बियां और कम से कम 21 गश्ती जहाज हैं।

नेवी ने संभाला मोर्चा तो क्या होगा?

अलजजीरा ने एक रिपोर्ट में वाशिंगटन, डीसी स्थित स्टिमसन सेंटर के एक पूर्व फेलो और नई दिल्ली स्थित समुद्री मामलों के एक्सपर्ट्स बशीर अली अब्बास के हवाले से कहा है कि नौसैनिक प्लेटफॉर्म स्वाभाविक रूप से कई भूमिकाएं निभाते हैं। अब्बास ने कहा कि युद्धपोत और पनडुब्बियां गश्ती मिशन या अभ्यास से थोड़े समय के नोटिस पर ऑपरेशनल मिशन में बदल सकती हैं लेकिन इसके अपने रिस्क होंगे।

अब्बाल के अनुसार अगर भारतीय नौसेना अगले संकट के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, तो तनाव को नियंत्रित करने की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी जहाज-से-जहाज या जहाज-से-जमीन की लड़ाई का मतलब होगा कि भारत और पाकिस्तान युद्ध में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा भी सबसे ज्यादा है।

अनिल कुमार

लेखक के बारे में

अनिल कुमार

अनिल पिछले एक दशक से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। दैनिक जागरण चंडीगढ़ से 2009 में रिपोर्टिंग से शुरू हुआ सफर, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला, जनसत्ता.कॉम होते हुए नवभारतटाइम्स.कॉम तक पहुंच चुका है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं लेकिन पढ़ाई-लिखाई दिल्ली से हुई है। स्पोर्ट्स और एजुकेशन रिपोर्टिंग के साथ ही सेंट्रल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है। राजनीति, खेल के साथ ही विदेश की खबरों में खास रुचि है।… और पढ़ें

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