मॉस्को: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की है। यह मीटिंग शुक्रवार को सेंट पीटर्सबर्ग की प्रेसीडेंट लाइब्रेरी में हुई। क्रेमलिन की ओर से मीटिंग के बाद जारी बयान में कहा गया है कि बातचीत का मुख्य विषय यूक्रेन में शांति स्थापित करने पर चर्चा करना था। रूस की मीडिया ने दावा किया है कि यह बातचीत चार घंटे से ज्यादा समय चली। विटकॉफ के रूस के इस दौरे के बाद माना जा रहा है कि अब डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात भी हो सकती है।
पुतिन-विटकॉफ की मुलाकात के बाद क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि ट्रंप और पुतिन के बीच भविष्य में आमने-सामने की मीटिंग पर चर्चा हुई है। हालांकि पेस्कोव ने विटकॉफ-पुतिन की बातचीत से बहुत उम्मीद नहीं जताई है। उन्होंने रूसी मीडिया को बताया कि US दूत की यात्रा ऐतिहासिक नहीं होगी और इससे कोई बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद नहीं है।
ट्रंप ने जताई है देरी पर निराशा
विटकॉफ ने व्लादिमीर पुतिन के निवेश दूत किरिल दिमित्रिएव से भी बातचीत की है। न्यूज एजेंसी ताश के अनुसार, दिमित्रिएव ने विटकॉफ के साथ मीटिंग को सकारात्मक कहा है। हालांकि यूक्रेन में शांति की बहुत उम्मीद अभी नहीं दिख रही है क्योंकि युद्ध को रोकने के लिए जो शर्तें रखी जा रही हैं। उन पर दोनों देशों में सहमति नहीं बन पा रही है। रूस युद्धविराम के लिए जो शर्तें रख रहा है, उनमें- यूक्रेन का नाटो में शामिल ना होना, सेना कम करना और मॉस्को को कब्जे वाले चार यूक्रेनी क्षेत्र सौैंपना शामिल हैं।
विटकॉफ का रूस दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने शांति वार्ता में हो रही देरी पर निराशा जताई है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, ‘रूस को आगे बढ़ना होगा। इस भवायह युद्ध में हर हफ्ते हजारों लोग मर रहे हैं। ट्रम्प ने उन देशों पर सेकेंडरी प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दी है, जो रूस से तेल खरीदते हैं। दूसरी ओर यूक्रेनी अधिकारियों ने रूस पर बिजली संयंत्रों पर हुए पहले के युद्धविराम समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया है।
कई मुद्दों पर अनबन जारी
व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह शांति के लिए तैयार हैं लेकिन इसके लिए सभी मुद्दों पर बातचीत होनी चाहिए। पुतिन का मानना है कि नाटो विस्तार और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसका प्रभुत्व इस युद्ध की वजह है। दूसरी ओर यूक्रेन ने रूस की कई शर्तों को अस्वीकार्य और आत्मसमर्पण बताते हुए मानने से इनकार किया है। इससे युद्धविराम की कोशिश आगे नहीं बढ़ा पा रही है।