IO_AdminUncategorized2 months ago34 Views

इस्लामाबाद: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। आशंका है कि दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो सकता है। हालांकि पूर्ण युद्ध की संभावना काफी कम है, लेकिन सीमित संघर्ष की स्थिति में चीन ने पाकिस्तान को कुछ ऐसे हथियार बेच रखे हैं, जिसपर पाकिस्तान की सेना काफी निर्भर करती है। अगर ये चीनी हथियार काम करते हैं तो निश्चित तौर पर भारत को युद्ध की स्थिति में थोड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है, लेकिन अगर ये चायनीज माल की तरह टिकाऊ नहीं निकले तो पाकिस्तान सीमित संघर्ष में भी फौरन घुटने टेक सकता है।

भारतीय हमले की आशंका से पाकिस्तान अलर्ट पर है और उसने अपनी हवाई डिफेंस को एक्टिवेट कर रखा है। इसके अलावा सैन्य उपकरणों को भारत की सीमा के पास लाया गया है। पाकिस्तानी सैनिकों ने युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है। पाकिस्तान खुद को युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार दिख रहा है, जबकि भारत सरप्राइज देने के मूड में है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिस तरह से पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध में अपने कई हथियारों, जैसे HIMARS मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (MLRS) या पैट्रियट मिसाइल डिफेंस का युद्ध के मैदान में परीक्षण किया है, उसी तरह से भारत-पाकिस्तान के युद्ध में चीनी हथियारों की अग्निपरीक्षा होने वाली है। आइये जानते हैं पाकिस्तान के पास मौजूद वो पांच चायनीज हथियार, जो भारत को परेशान कर सकते हैं।

J-10C लड़ाकू विमान
साल 2021 में पाकिस्तान ने 25 चीनी J-10C लड़ाकू विमान खरीदे थे। चीन इसे 4.5 जेनरेशन लड़ाकू विमान कहता है। J-10C को 2022 में पाकिस्तान वायु सेना (PAF) में शामिल किया गया। पाकिस्तान एयरफोर्स ने उस वक्त इसे क्रांतिकारी परिवर्तन कहा था। दावा किया जाता है कि ये फाइटर जेट पाकिस्तान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की क्षमता को बढ़ाता है। J-10C की तुलना अक्सर अमेरिकी F-16 ब्लॉक 70 से की जाती है। J-10C लड़ाकू विमान में स्वदेशी एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, इमेजिंग इंफ्रारेड सीकर (IIR) PL-10, WS-10B इंजन और PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइलें हैं। युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान इस फाइटर जेट को जरूर उतारेगा, लिहाजा J-10C के प्रदर्शन पर नजर रखी जाएगी।

चीन दुनिया के बाजार में इस जेट के जरिए अमेरिकी एफ-16, यूरोपीय यूरोफाइटर टाइफून और फ्रांसीसी राफेल को टक्कर देना चाहता है। इसकी सबसे खास बात इसकी कीमत है। दूसरे विमानों के मुकाबले इसकी कीमत में करीब 50 मिलियन डॉलर तक की कमी है। लेकिन इसने अभी तक खुद को युद्ध के मैदान में साबित नहीं किया है। कई एक्सपर्ट्स इसकी क्षमता पर सवाल उठाते रहे हैं। यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू परीक्षण पायलट एयर मार्शल अनिल चोपड़ा (सेवानिवृत्त) का मानना है टेक्नोलॉजी, हथियार, एयरो-इंजन और युद्ध अनुभव के मामले में राफेल लड़ाकू विमान, चायनीज जे-10 पर काफी बढ़त बनाता है। ऐसे में युद्ध की स्थिति में कई देशों की नजर राफेल बनाम J-10C पर होगी।

JF-17 फाइटर जेट
पाकिस्तान, एक और चीनी फाइटर जेट JF-17 को ऑपरेट करता है, जो एक हल्का, मल्टी-रोल फाइटर जेट है। इस फाइटर जेट में एडवांस एवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और एक एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए सरणी (AESA) रडार है। यह PL-10, PL-12 और PL-15 जैसी चीनी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को भी दाग सकता है। यह हवा से हवा और हवा से सतह पर मार करने वाले हथियारों, गाइडेड और गैर-निर्देशित बमों और जहाज-रोधी मिसाइलों सहित विभिन्न हथियारों को ले जाने में सक्षम है। यूरोटाइम्स के मुताबिक, JF-17 और PL-15 का संयोजन खासतौर से घातक साबित हो सकता है, क्योंकि यह पाकिस्तान को 200-300 किलोमीटर दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम करेगा। JF-17 भारी सुरक्षा वाले भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने का जोखिम उठाए बिना स्टैंड-ऑफ हमला करने में सक्षम हो सकेगा। हालांकि भारत के पास एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे भेदना इसके लिए संभव नहीं है।

HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम
HQ-9 एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है, जिसे चाइना प्रिसिजन मशीनरी इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CPMIEC) ने विकसित किया है। पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स इसकी भारतीय एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम से तुलना करते हैं। इसे लड़ाकू जेट, ड्रोन और मिसाइलों सहित विभिन्न हवाई खतरों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। इस एयर डिफेंस सिस्टम में अल्माज़-एंटे से प्राप्त तकनीक के आधार पर विकसित किया गया था, जो रूसी कंपनी है जो S-300, S-400 और S-500 एयर डिफेंस सिस्टम बनाती है। लेकिन HQ-9 में रूसी S-300 मिसाइल सिस्टम के एलिमेंट शामिल हैं। यह सिस्टम 2000 के दशक की शुरुआत में सेवा में आई थी। HQ-9A वैरिएंट 2001 में सर्विस में आया था। बाद में, HQ-9B जैसे ज्यादा एडवांस वैरिएंट शामिल किए गए। 2021 में पाकिस्तान ने इसका HQ-9P वैरिएंट भी खरीद लिया था।

यह HT-233 3D चरणबद्ध-सरणी रडार का इस्तेमाल करता है, जो 100 लक्ष्यों तक को ट्रैक करने की क्षमता रखता है। यूरेशियन टाइम्स के मुताबिक, असली चायनीज HQ-9B की मारक क्षमता 250-300 किलोमीटर है, जबकि पाकिस्तान सेना के HQ-9P की मारक क्षमता सिर्फ 125 किलोमीटर है। लेकिन क्रूज मिसाइलों और पाकिस्तान की सीमा में दाखिल होने वाले ड्रोन और फाइटर जेट्स के लिए ये बड़ा खतरा बन सकता है।

SH-15 हॉवित्जर
SH-15 हॉवित्जर को पाकिस्तानी सेना में साल 2019 में शामिल किया गया था, जो एक 6×6 पहिए वाला हॉवित्जर है। चीन ने इस नाटो स्टैंडक्ड के हिसाब से 155 मिमी की तोप, 50 किमी तक की सीमा के साथ उच्च-विस्फोटक गोले, लेजर-निर्देशित GP6 राउंड और रॉकेट-सहायता प्राप्त प्रोजेक्टाइल सहित कई प्रकार के गोला-बारूद दागने के लिए डिजाइन किया हुआ है। ये हर मिनट 6 राउंट फायर कर सकता है और इसे खासकर खास टारगेट्स, सप्लाई चेन, बुनियादी ढांचो पर पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। सिस्टम का डिजिटल फायर कंट्रोल, GPS/BeiDou नेविगेशन और थर्मल इमेजिंग कश्मीर के बीहड़ इलाकों में भी सटीक निशाना लगा सकता है। चीन दावा करता है कि हॉवित्जर की स्पीड 90 किमी/घंटा तक जा सकती है और ये हिट-एंड-रन रणनीति के लिए सटीत है। छोटी लड़ाई में ये अहम भूमिका निभा सकता है।

CH-4 ड्रोन
भारत और पाकिस्तान के बीच अगर टक्कर होता है कि चीनी ड्रोन CH-4 का भी पाकिस्तान जरूर इस्तेमाल करेगा। CH-4B रेनबो, एक युद्ध-सिद्ध ड्रोन है, जो टोही, सटीक हमलों और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार बनता है। खासकर नियंत्रण रेखा (LoC) में ये काफी कारगर बन सकता है। चीन एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने इसे विकसित किया है और ये मध्यम-ऊंचाई, लंबी-धीरज वाला यूएवी है जो अमेरिकी MQ-9 रीपर जैसा दिखता है। ये 14 घंटे तक लगातार हवा में रह सकता है और इसका रेंज 1500 किलोमीटर है। ये रियल टायम जानकारी देता है और लक्ष्यों को निशाना बना सकता है। इसका 345 किलोग्राम का पेलोड दुश्मन की हवाई सुरक्षा को दबाने के लिए AR-1 लेजर-गाइडेड मिसाइलों, FT-9 बमों और एंटी-रेडिएशन मिसाइलों सहित कई तरह के हथियारों का समर्थन करता है।

अभिजात शेखर आजाद

लेखक के बारे में

अभिजात शेखर आजाद

अभिजात शेखर आजाद, बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और पिछले 15 सालों से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। ज़ी मीडिया समेत कई नामी संस्थानों काम कर चुके हैं। जियो-पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करने का लंबा अनुभव है। NBT में दुनिया डेस्क पर कार्यरत हैं और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर पर लिखते हैं।… और पढ़ें

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