2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्‍शन पर क्‍या लगेगा टैक्‍स? सरकार ने कर दिया साफ

IO_AdminUncategorized2 months ago73 Views

नई दिल्‍ली: सरकार ने साफ किया है कि 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी नहीं लगेगा। वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बाद दिया है जिनमें कहा गया था कि सरकार इस पर विचार कर रही है। मंत्रालय ने कहा कि ये खबरें गलत हैं और सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार के सामने नहीं है।

दरअसल, कुछ दिनों से खबरें आ रही थीं कि सरकार 2,000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की सोच रही है। इन खबरों के बाद लोगों में कंफ्यूजन फैल गया था। लोगों को लग रहा था कि अब यूपीआई से पेमेंट करना महंगा हो जाएगा।

सरकार ने क‍िया खबरों का खंडन

हालांकि, अब वित्त मंत्रालय ने इन खबरों को गलत बताया है। मंत्रालय ने कहा है कि सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘फिलहाल सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।’ इसका मतलब है कि अभी यूपीआई से पेमेंट करने पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा।

जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्‍स कुछ खास तरह के शुल्कों पर लगता है। इनमें मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शामिल हैं। एमडीआर वह शुल्क होता है जो व्यापारी बैंक को पेमेंट करने पर देता है।

UPI लेनदेन पर MDR हट चुका है

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जनवरी 2020 से ग्राहक से व्यापारी (P2M) के बीच यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है। इसका मतलब है कि अब ग्राहक जब UPI से पेमेंट करते हैं तो व्यापारियों को कोई MDR नहीं देना होता है।

मंत्रालय ने कहा, ‘चूंकि इस समय यूपीआई लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लगाया जाता है, इसलिए इन लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है।। इसका मतलब है कि जब एमडीआर ही नहीं है तो जीएसटी किस बात पर लगेगा।

यूपीआई लेनदेन में तेजी से बढ़ोतरी

यूपीआई लेनदेन में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2019-20 में यह 21.3 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 260.56 लाख करोड़ रुपये हो गया। लोग अब कैश की जगह यूपीआई से पेमेंट करना ज्यादा पसंद करते हैं। यह आसान भी है और सुरक्षित भी।

सरकार यूपीआई को और बढ़ावा देना चाहती है। इससे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा और देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। सरकार का मानना है कि यूपीआई देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे में

अमित शुक्‍ला

पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।… और पढ़ें

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