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नई दिल्ली: किंग कोबरा… दुनिया के सबसे खतरनाक और जहरीले सांपों में से एक। 15 फीट तक लंबे इस सांप का जहर इतना शक्तिशाली होता है कि हाथी जैसे विशालकाय जानवर को भी मार सकता है। किंग कोबरा का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो सीधे तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। इसके काटने से इंसान की मौत कुछ ही मिनटों में हो सकती है। कहते हैं कि अगर कहीं किंग कोबरा दिख जाए तो दूर से ही बचकर निकल जाना चाहिए। लेकिन, एक राज्य ऐसा है जो बड़ी संख्या में किंग कोबरा सांपों को मंगा रहा है।

ये राज्य है मध्य प्रदेश, जहां के मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने प्रदेश में किंग कोबरा सांपों को लाने की योजना बना रहे हैं। दरअसल, इसकी वजह है राज्य में सांपों के काटने से होने वाली मौतें। इन मौतों को कम करने के लिए सीएम मोहन यादव राज्य में कर्नाटक से किंग कोबरा सांप लाना चाहते हैं। इसके साथ ही वह राज्य में सांपों की गिनती भी कराना चाहते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करना व्यवहारिक नहीं है।

दरअसल, मुख्यमंत्री मोहन यादव सांपों की आबादी का आकलन करना चाहते हैं, लेकिन वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करने के लिए कोई प्रोटोकॉल नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किंग कोबरा को फिर से लाने की योजना के संबंध में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कर्नाटक से लाए गए किंग कोबरा मध्य प्रदेश के शुष्क वातावरण के अनुकूल नहीं होंगे और इससे संकरण का खतरा भी बढ़ सकता है। हाल ही में 18 जून को भोपाल के वन विहार चिड़ियाघर में कर्नाटक के मैंगलोर चिड़ियाघर से लाए गए एक किंग कोबरा की मौत भी हुई है।

किंग कोबरा दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है, जो 15 फीट तक लंबा हो सकता है। यह ऐसा सांप है जो नम, अंधेरे जंगलों, घनी वनस्पतियों, ठंडे दलदलों और बांस के इलाकों को पसंद करता है। भारत की अगर बात करें तो किंग कोबरा पश्चिमी घाट, उत्तरी भारतीय तराई क्षेत्र, पूर्वोत्तर, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के मैंग्रोव तटों, अंडमान और निकोबार और पूर्वी घाट के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।

2014 से, किंग कोबरा को पूर्वी छत्तीसगढ़ के कोरबा में देखा गया है। यह इलाका आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम और ओडिशा के बेरहामपुर से सैकड़ों किलोमीटर दूर है। इससे मध्य प्रदेश के सतपुड़ा और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व के आसपास के जंगलों में किंग कोबरा पाए जाने की उम्मीद जगी है। हालांकि, मध्य भारत के शुष्क जंगलों में किंग कोबरा की मौजूदगी का कोई भरोसेमंद ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है।

किंग कोबरा देखे जाने का मजबूत रिकॉर्ड नहीं

एक पूर्व वरिष्ठ राज्य वन अधिकारी का कहना है कि मध्य प्रदेश के जंगलों में किंग कोबरा को देखे जाने का कोई मजबूत रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त बारहमासी पानी के स्रोत या घनी वनस्पति के फैले हुए इलाके भी नहीं हैं, जो गर्मियों में ठंडी जगह प्रदान कर सकें। कभी-कभार किनारे पर आबादी हो सकती है लेकिन इससे मध्य प्रदेश किंग कोबरा के क्षेत्र में नहीं आता है।

पश्चिमी घाट की पहाड़ियों (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के आसपास के इलाकों) में किंग कोबरा की छोटी लोकल आबादी को एक अलग प्रजाति (ओफियोफैगस कालिंगा) के रूप में पहचाना गया। यह प्रजाति भारत के बाकी हिस्सों में पाए जाने वाले किंग कोबरा से अलग है, जिसमें मध्य प्रदेश के सबसे करीब कोरबा की आबादी भी शामिल है। कर्नाटक से मध्य प्रदेश में लाया गया किंग कोबरा पहाड़ी इलाकों में रहने वाली प्रजाति का होगा, जिसके लिए मध्य भारत के शुष्क, नंगे और गर्म जंगल ठीक नहीं होंगे।

दूसरे सांपों का शिकार करता है किंग कोबरा

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वन अधिकारियों को बताया, ‘जब किंग कोबरा जमीन पर रेंगता है, तो दूसरे सांप अपने बिलों से भाग जाते हैं और किंग कोबरा उनका शिकार करता है। चूंकि किंग कोबरा गायब हो गया है इसलिए डिंडोरी जैसे जिलों में, जहां मैं प्रभारी मंत्री था, सांप के काटने से हर साल 200 तक मौतें होती हैं।’ मोहन यादव ने किंग कोबरा को छोड़ने से पहले जहरीले सांपों की आबादी का आकलन करने की बात कही है।

किंग कोबरा अकेला ऐसी प्रजाति है, जो अपने अंडों के लिए घोंसला बनाती है, लेकिन वे कैद में अच्छी तरह से प्रजनन नहीं करते हैं। देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि मध्य प्रदेश के एक बड़े हिस्से को किंग कोबरा के लिए उचित रूप से आबाद करने में दशकों लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि किंग कोबरा मानव बस्तियों से दूर रहते हैं। इसलिए मानव-प्रधान इलाकों में जहरीले सांपों को कम करने पर उनका प्रभाव तभी महसूस किया जा सकता है जब किंग कोबरा की आबादी एक निश्चित स्तर तक पहुंच जाए।

धर्मेंद्र कुमार

लेखक के बारे में

धर्मेंद्र कुमार

दिल्ली यूनिवर्सिटी साउथ कैंपस से 2010 में पत्रकारिता करने के बाद अमर उजाला डिजिटल से करियर की शुरुआत की। अमर उजाला में करीब साढ़े पांच साल की लंबी पारी के बाद हिंदी वनइंडिया में न्यूज डेस्क को लीड किया। इस समय नवभारत टाइम्स में क्राइम सेक्शन को संभाल रहा हूं। साथ ही राजनीतिक मुद्दों पर लिखने में भी दिलचस्पी है।… और पढ़ें

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