IO_AdminUncategorized1 month ago31 Views

नई दिल्लीः भारत सरकार पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकने के तरीके खोज रही है। सरकार अतिरिक्त भंडारण क्षमता बनाने और जलविद्युत परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने पर ध्यान दे रही है। भारत ने पाकिस्तान को बता दिया है कि वह दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि (IWT) को फिलहाल रोक रहा है।

पानी को जमा करने के उपाय पर चर्चा

इसके बाद, गृह मंत्री अमित शाह ने एक बैठक की। इस बैठक में यह तय किया गया कि इस फैसले को कैसे जल्दी से लागू किया जाए। नदियों और बांधों से गाद निकालने का काम तुरंत शुरू किया जाएगा। इससे पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोका जा सकेगा। जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल और अन्य बड़े अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए। बैठक में पानी को जमा करने के लिए अतिरिक्त ढांचा बनाने और जलविद्युत परियोजनाओं पर काम तेज करने पर बात हुई। इससे सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी का इस्तेमाल भारत बेहतर तरीके से कर पाएगा।

गाद निकालने का काम सबसे पहले

नदियों और बांधों से गाद निकालने का काम सबसे पहले किया जाएगा। इससे भारत को ज्यादा पानी मिलेगा और पाकिस्तान को थोड़ा कम पानी जाएगा। पाकिस्तान पहले से ही सिंचाई और पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने में 32% की कमी का सामना कर रहा है।

तीन विकल्पों पर चर्चा हुई

बैठक के बाद पाटिल ने मीडिया को बताया, बैठक में एक योजना तैयार की गई। तीन विकल्पों पर चर्चा हुई। सरकार कम समय, मध्यम समय और लंबे समय के लिए काम कर रही है ताकि पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी न जाए। जल्द ही, पानी को रोकने और मोड़ने के लिए नदियों से गाद निकाली जाएगी। सरकार हर संभव कोशिश कर रही है कि पाकिस्तान को पानी न मिले।

पानी जमा करने की कितना क्षमता है?

अभी भारत के पास पश्चिमी नदियों के पानी को जमा करने की पर्याप्त क्षमता नहीं है। IWT के तहत भारत को 3.6 MAF पानी जमा करने की अनुमति है, लेकिन भारत के पास इतनी क्षमता भी नहीं है। इसी तरह, भारत ने पश्चिमी नदियों से 20,000 MW बिजली पैदा करने की क्षमता में से केवल 3,482 MW क्षमता का ही इस्तेमाल किया है। अगर किशनगंगा और रैटल जलविद्युत परियोजनाओं पर काम तेजी से किया जाए, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी।

सिंचाई की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इस पर नीति निर्माताओं ने ध्यान दिया है। वे चाहते हैं कि पश्चिमी नदियों के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो। ऐसा तभी हो सकता है जब भारत अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाए और जम्मू-कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की ओर पानी का प्रवाह करे। झेलम नदी पर बन रही तुलबुल परियोजना पर 1986 से काम रुका हुआ है। इस पर काम शुरू होने से मदद मिलेगी। इस परियोजना में एक बांध भी होगा, जिसमें लगभग 0.3 MAF पानी जमा किया जा सकेगा। इससे इलाके में पानी की समस्या दूर हो जाएगी।

IWT एक संधि है जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई थी। इस संधि के तहत, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का पानी पाकिस्तान को दिया जाना था और पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का पानी भारत को दिया जाना था। अब भारत इस संधि पर फिर से विचार कर रहा है। MAF का मतलब है मिलियन एकड़ फीट। यह पानी को मापने की एक इकाई है। 1 MAF पानी लगभग 1233 मिलियन क्यूबिक मीटर के बराबर होता है। MW का मतलब है मेगावाट। यह बिजली को मापने की एक इकाई है।

Vishwa Mohan

लेखक के बारे में

Vishwa Mohan

Vishwa Mohan is Senior Editor at The Times of India. He writes on environment, climate change, agriculture, water resources and clean energy, tracking policy issues and climate diplomacy. He has been covering Parliament since 2003 to see how politics shaped up domestic policy and India’s position at global platform. Before switching over to explore sustainable development issues, Vishwa had covered internal security and investigative agencies for more than a decade.… और पढ़ें

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