पहले रूठे क्यों, अब मान कैसे गए, AIADMK दोबारा यूं ही नहीं आई बीजेपी के करीब.. कारण जान लीजिए

IO_AdminUncategorized3 months ago61 Views

चेन्नई: स्टालिन का हिंदी विरोध और बीजेपी नेता के. अन्नामलाई की चुनौती से तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव की फिजा बनने लगी है। करीब दो साल बाद एक बार फिर एआईएडीएमके और बीजेपी के बीच गठबंधन की सुगबुगाहट बढ़ गई है। एआईएडीएमके नेता पलानीस्वामी ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई पहले ही बयान दे चुके हैं कि इस बार चुनाव में पार्टी की ताकत बढ़ाना और डीएमके को हराना ही उनका लक्ष्य है। मार्च में बीजेपी नेता ने एक और बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि जो पार्टियां हमें अछूत मानती हैं, अब बीजेपी की बढ़ती ताकत के कारण गठबंधन के लिए लालायित है।

एआईएडीएमके को हुआ रिश्ता तोड़ने का नुकसान

लोकसभा चुनाव से पहले के. अन्नामलाई से नाराज होकर एआईएडीएमके ने एनडीए से रिश्ता तोड़ लिया था। तब माना गया कि अन्नामलाई के द्रविड़ नेता सी एन अन्नादुरई को लेकर दिए गए बयान से नुकसान की आशंका में पलानीस्वामी ने अलग राह पकड़ ली। अन्नामलाई ने इसे मौके को भुनाया और तमिलनाडु में अपना जनाधार मजबूत कर लिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसके चार सहयोगी दलों को 18.28 प्रतिशत वोट मिले थे। एआईएडीएमके गठबंधन को 23.05 प्रतिशत मत मिले। दोनों गठबंधनों को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। त्रिकोणीय मुकाबले में डीएमके के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को सर्वाधिक 46.97 फीसदी वोट मिले। इंडिया गठबंधन ने राज्य की सभी 39 सीटों पर कब्जा कर लिया। डीएमके को 22 और कांग्रेस को 9 सीटों पर जीत मिली। गठबंधन में शामिल सीपीआई, सीपीएम समेत चार पार्टियों ने 8 सीटें जीत लीं।

मौका मिला तो बीजेपी ने बढ़ाया वोट प्रतिशत

एआईएडीएमके के बगैर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी को लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत का फायदा मिला। 2019 में सिर्फ 3.62 प्रतिशत वोट हासिल करने वाला भगवा दल 2024 में 11.24 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही यानी 7.58 फीसदी की बढ़त मिली। जबकि एआईएडीएमके को सिर्फ एक फीसदी वोट का फायदा हुआ। बीजेपी अपने दम पर 9 लोकसभा क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर रही और अपने पुराने गठबंधन के पार्टनर एआईएडीएमके को तीसरे नंबर पर धकेल दिया। एनडीए ने कुल मिलाकर 13 संसदीय क्षेत्रों में एआईडीएमके को पीछे छोड़ दिया। पलानीस्वामी के नेतृत्व में एआईएडीएमके को 20.46 प्रतिशत वोट मिले। उसे पिछले चुनाव में 19.39 प्रतिशत वोट मिले थे।

गठबंधन नहीं करेंगे तो डीएमके की जीत तय

लोकसभा चुनाव में मिले वोट को अगर विधानसभा के हिसाब से देखें तो बीजेपी के बगैर एआईएडीएमके की हालत और पतली हो सकती है। विधानसभा में एआईएडीएमके 66 से खिसककर सिर्फ 18 पर सिमट जाएगी और बीजेपी भी 4 से घटकर शून्य हो जाएगी। दोनों दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने का सीधा फायदा डीएमके और कांग्रेस को होगा। पिछले चुनाव में 159 सीट जीतने वाला डीएमके गठबंधन 221 विधानसभा सीटें जीत सकती हैं। यह आंकड़ा दोनों दलों को करीब लाने के लिए काफी है। विधानसभा चुनाव के लिए दोबारा गठबंधन की चर्चा हो रही है तो अब बीजेपी मजबूत स्थिति में है, क्योंकि के. अन्नामलाई की मेहनत से पार्टी का जनाधार चेन्नई सेंट्रल, चेन्नई साउथ, नीलगिरी, तिरुनेलवेली, कन्याकुमारी और कोयंबटूर जैसे इलाकों में बढ़ा है।

बात बनी तो एनडीए में होंगे 6 राजनीतिक दल

अगर दोनों दलों में गठबंधन होता है तो एनडीए को 6 दलों में सीटों का बंटवारा करना होगा। एआईएडीएके ने एमडीएमके के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा था, जबकि बीजेपी के एनडीए में पट्टाली मक्कल काची (पीएमके), तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार), अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) और कुछ अन्य छोटे दल शामिल थे। तमिलनाडु विधानसभा में कुल 234 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 118 है। 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में एआईएडीएमके 179 और बीजेपी मात्र 20 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। पीएमके को 23 और टीएमसी (एम) को 6 सीटें दी गई थीं। बाकी सहयोगियों को एक-एक सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था। कम सीटों पर चुनाव लड़ने के कारण बीजेपी को मात्र 2.62 प्रतिशत वोट मिले थे मगर 4 सीटों पर जीत मिली थी।

बीजेपी ने कैसे बढ़ाया वोट शेयर, आंकड़ों से जानें

पिछले कई चुनावों आंकड़ों के हिसाब-किताब में बीजेपी के वोट शेयर स्थिर ही रहा। गठबंधन से भी उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। गठबंधन का फायदा सीटों में नजर आया। 2016 के जयललिता के दौर में बीजेपी तमिलनाडु में अकेले मैदान में उतरी थी, तब भी उसे 2.86 प्रतिशत वोट मिले थे। 2011 में भी उसका वोट शेयर 2.2 प्रतिशत ही रहा। उससे पहले 2006 में 2.1 प्रतिशत वोट से ही संतोष करना पड़ा। बीजेपी को सीटें नहीं मिली। 2001 में डीएमके के साथ गठबंधन करने पर 3.2 प्रतिशत वोट और चार विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। 20 साल बाद एआईडीएमके के साथ गठबंधन के बाद उसे फिर चार सीटें मिलीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी को 3.62 प्रतिशत और 2014 के मोदी लहर में 5.56 प्रतिशत वोट ही मिले थे।

2024 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 11.24 पर पहुंच गया है। अगर एआईडीएमके जैसे पुराने पार्टनर से दोबारा दोस्ती होती है तो विधानसभा में सीटों का इजाफा हो सकता है। फिलहाल नजरें समझौते पर टिकीं हैं, जिसमें तय होगा कि एआईएडीएमके बीजेपी को कितनी सीटें ऑफर करेगी।

विश्वनाथ सुमन

लेखक के बारे में

विश्वनाथ सुमन

प्रिंट और डिजिटल में 18 वर्षों का सफर। अमर उजाला, नवभारत टाइम्स ( प्रिंट), ईटीवी भारत के अनुभव के साथ संप्रति nbt.in में।… और पढ़ें

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