AdminUncategorized2 months ago30 Views

नई दिल्ली: अमेरिका के टैरिफ प्लान को लेकर अब विपक्ष सरकार से तीखे सवाल पूछ रहा है। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सरकार से पूछा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर की धमकी पर भारत का क्या जवाब है? उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले पर संसद में कोई चर्चा नहीं हुई और न ही विपक्षी दलों से सलाह ली गई।

चिदंबरम ने अन्य देशों के साथ मिलकर साझा रणनीति बनाने की बात कही है। उनका मानना है कि अगर ट्रंप अलग-अलग देशों पर अलग-अलग टैरिफ लगाते हैं, तो प्रभावित देशों को अकेले ही लड़ना पड़ेगा। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट नीति बनाने और विपक्ष को विश्वास में लेने की अपील की है। चिदंबरम ने यह भी कहा कि कई मंत्रियों को इस मामले की जानकारी नहीं है। उन्हें डर है कि ट्रंप एक-एक करके देशों को निशाना बना सकते हैं, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है।

अमेरिका की विदेश नीति पर चिंता जताई

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में अमेरिका की विदेश नीति पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका अपने वादे से मुकरता है, तो भारत सरकार को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। सरकार को वैकल्पिक योजनाएं बनानी चाहिए और विपक्ष को भी विश्वास में लेना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि उन्हें लगता है कि ज्यादातर मंत्रियों को इस बारे में कुछ नहीं पता है। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में, मेरी जानकारी यह है कि अधिकांश मंत्री अंधेरे में हैं, अमेरिका की अनिश्चित नीति के लिए प्रतिक्रियाशील नीति बनाने में कौन शामिल है? मुझे नहीं पता। ऐसा लगता है कि किसी को पता नहीं है।’

राष्ट्रपति ट्रंप भारत को चुनते हैं और कहते हैं भारत से निर्यात किए गए सामानों पर टैरिफ है, तो हम बर्बाद हो जाएंगे। 3 से 6 महीनों में हमारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी।

पी. चिदंबरम, कांग्रेस

ट्रंप के टैरिफ से टेंशन में भारत

ट्रंप के ऑटो आयात पर 25% टैरिफ लगाने के फैसले से भारत के लगभग 7 बिलियन डॉलर के निर्यात पर अनिश्चितता छा गई है। उद्योग जगत को डर है कि इससे मुनाफा कम हो सकता है। अमेरिका में आयात होने वाली ऑटोमोबाइल और कार पार्ट्स पर 2 अप्रैल से 25% टैरिफ लगेगा। भारत कारों का बड़ा निर्यातक नहीं है, लेकिन टाटा मोटर्स की लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर (JLR) अमेरिकी बाजार में अच्छी तरह से स्थापित है। भारतीय ऑटो सहायक कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि वे अमेरिका को बहुत सारे कंपोनेंट्स का निर्यात करते हैं। भारत के ऑटो कंपोनेंट सेक्टर की लगभग पांचवां हिस्सा निर्यात से आता है। इसमें से 27% अकेले अमेरिकी बाजार में जाता है।

‘सरकार बिना सोचे-समझे फैसले ले रही’

चिदंबरम ने कहा, ‘मुझे लगता है कि सरकार एक तरह से बिना सोचे-समझे, एकतरफा फैसले ले रही है। उदाहरण के लिए बजट भाषण में उन्होंने 2% टैक्स हटा दिया। परसों वित्त मंत्री ने घोषणा की कि 6% डिजिटल सर्विस टैक्स, जिसे आमतौर पर गूगल टैक्स के रूप में जाना जाता है, चला जाएगा।अब वे मिस्टर ट्रंप को और क्या रियायतें देने जा रहे हैं?’ उन्होंने आगे कहा, ‘यदि आप संसद में सार्वजनिक चर्चा नहीं करना चाहते हैं, तो आपको कम से कम संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख विपक्षी दलों को आमंत्रित करना चाहिए और नेताओं को विश्वास में लेना चाहिए।’

कनाडा का दिया उदाहरण

चिदंबरम ने कहा कि WTO के नियम हैं। कई देशों के बीच व्यापार समझौते हैं। अंतर्राष्ट्रीय कानून और सम्मेलन भी हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप कई देशों के टैरिफ को बदलना चाहते हैं, तो आपको बातचीत करनी चाहिए। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी भी यही कर रहे हैं। उन्होंने अपनी संसद को विश्वास में लिया है। कम से कम नेताओं को तो लिया ही है। वे कह रहे हैं कि वे यूरोपीय देशों के साथ मिलकर मिस्टर ट्रंप के एकतरफा टैरिफ का जवाब देंगे।

‘ट्रंप एक-एक करके देशों को चुनते हैं और…’

चिदंबरम ने आगे कहा कि ‘तेल उत्पादक देश भी आपस में बातचीत कर रहे हैं। भारत एक बड़ा कृषि निर्यातक है। हम कपड़ा भी बहुत निर्यात करते हैं।हम कई औद्योगिक सामान भी निर्यात करते हैं। इसलिए हमें उन देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए जो कृषि, कपड़ा और औद्योगिक सामान विश्व बाजार में निर्यात करते हैं। हमें एक साथ मिलकर एक रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप एक-एक करके देशों को चुनते हैं और उन पर टैरिफ लगाते हैं, तो यह उस देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा।’

अशोक उपाध्याय

लेखक के बारे में

अशोक उपाध्याय

“नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में सीनियर ड‍िज‍िटल कंटेंट प्रोड्यूसर। जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया एंड मैनेजमेंट, नोएडा से 2013 में पासआउट। पत्रकारिता में 10 साल का अनुभव है। साल 2013 में एनबीटी अखबार से पत्रकारिता के सफर की शुरुआत की थी। राजनीति, क्राइम समेत कई बीटों पर काम करने का अनुभव है। अमर उजाला देहरादून में भी सेंट्रल डेस्क पर काम किया। साल 2020 में डिजिटल मीडिया की दुनिया में कदम रखा। मीडिया के बदलते स्वरूप के साथ खुद को बदलने का प्रयास जारी है।”… और पढ़ें

Read More

0 Votes: 0 Upvotes, 0 Downvotes (0 Points)

Leave a reply

Recent Comments

No comments to show.

Stay Informed With the Latest & Most Important News

I consent to receive newsletter via email. For further information, please review our Privacy Policy

Advertisement

Loading Next Post...
Follow
Sign In/Sign Up Sidebar Search Trending 0 Cart
Popular Now
Loading

Signing-in 3 seconds...

Signing-up 3 seconds...

Cart
Cart updating

ShopYour cart is currently is empty. You could visit our shop and start shopping.